काेराेना के खाैफ के कारण अस्पतालाें में साधारण मरीजाें का इलाज नहीं हाे पा रहा है। जिला प्रशासन लाख दावे करे कि प्राइवेट हाॅस्पिटल में इलाज चालू हाे गया है लेकिन हकीकत अलग है।काेराेना का खाैफ जिला अस्पताल में एेसा है कि अन्य मरीजाें काे डाॅक्टर हाथ तक नहीं लगा रहे। प्राइवेट हाॅस्पिटल बाहर से ही मना कर रहे हैं।
इन्हीं सब कारणाें से साेमवार काे रसूलपुर की 32 साल की महिला गुलशेरा पति इरफान शेख ने दम ताेड़ दिया। उनकी 18 अप्रैल काे जिला अस्पताल में डिलेवरी हुई थी। बेटे काे जन्म दिया। दर्द हाे रहा था, फिर भी अगले ही दिन 19 अप्रैल काे डिस्चार्ज कर दिया। पेट दर्द बंद नहीं हाेने पर फिर जिला अस्पताल लाए। भर्ती ताे कर लिया लेकिन 3 दिन तक किसी भी डाॅक्टर ने हाथ नहीं लगाया।
महिला की मां का आराेप- जिला अस्पताल में डाॅक्टर अंदर साेती रही लेकिन नर्स से पूछते ताे कह देती मेडम नहीं है
महिला की मां रईसा शेख का आराेप है-नर्स आकर बाेतल चढ़ा देती थी। जब भी मेडम का पूछने जाते, कह देते कि दूर रहाे। मेडम अंदर साेती रहती थी, फिर भी नर्स कहती कि मेडम नहीं है। प्राइवेट हाॅस्पिटल में इलाज कराने के लिए शनिवार काे छुट्टी कराने के लिए कहा ताे बाेले-आप इस कागज पर साइन कर दाे। कागज पर साइन नहीं किए ताे डिस्चार्ज पेपर भी नहीं दिए। महिला के पति इरफान ने बताया-रविवार काे सुबह यश हाॅस्पिटल गए, वहां कह दिया अभी मरीज नहीं देख रहे हैं। फिर वन मंडल के पास चारू मेडम के यहां गए। वहां भी बताया कि अभी मेडम मरीज नहीं देख रही हैं। विनायक हाॅस्पिटल गए, वहां भी मना कर दिया। संस्कार हाॅस्पिटल गए, वहां भी पहले ताे मना कर दिया लेकिन भैया की पहचान थी। उनसे फाेन लगवाया, तब शाम 5 बजे भर्ती किया। अत्यधिक खून बह जाने से यहां भी साेमवार सुबह 4 बजे इंदाैर ले जाने के लिए बाेल दिया। हम दाेस्त की कार में इंदाैर ले जा रहे थे। रास्ते में शिप्रा के पास ही गुलशेरा ने दम ताेड़ दिया। महिला की मां रईसा बी का कहना है-मेरी बच्ची काे टाइम पर डाॅक्टर देख लेते ताे उसकी माैत नहीं हाेती। अपने 10 दिन के बेटे काे देखते हुए इरफान राेते हुए कहता रहा-रमजान में मेरी पत्नी की मौत हो गई। 10 दिन का बेटा कैसे पालूंगा। रोएगा तो कैसे चुप कराऊंगा।
जिला अस्पताल की फाइल मजबूत, कह देंगे-अस्पताल से मरीज काे लेकर भाग गए
जिला अस्पताल के लापरवाहाें ने इस मामले में अपनी लापरवाही दबाने के लिए कागज मजबूत कर रखे हैं। डिस्चार्ज पेपर नहीं दिए। जांच हाेने पर बता देंगे कि अस्पताल से मरीज काे लेकर परिजन बिना बताए चले गए। इस तरह कार्रवाई से बच जाएंगे। भास्कर ने मामले में सिविल सर्जन डाॅ. अतुल बिडवई से सवाल किया ताे उनका रटारटाया जवाब था-फाइल दिखवाता हूं। जांच की जाएगी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3aJorKu
via IFTTT