कोरोना के डर से दूसरी बीमारी के मरीजों को निजी अस्पताल भर्ती करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। इस कारण गंभीर बीमारी के मरीजों को जान गंवाना पड़ रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। दुबई निवासी मोइन अली ने कहा कि ग्रीन पार्क निवासी 74 वर्षीय पिता आशिक अली की तबीयत 21 मार्च से खराब थी। वो दिल के मरीज थे और उन्हें निमोनिया भी हो गया था। 24 मार्च को अरिहंत अस्पताल में भर्ती किया था, पर डॉक्टर्स ने आना बंद कर दिया। 25 मार्च को बॉम्बे अस्पताल लेकर गए, पर गेट में घुसने नहीं दिया। सीएचएल, विशेष और एमआर टीबी अस्पताल ने भी इनकार कर दिया। इस बीच मैंने मुख्यमंत्री, भोपाल सीएमएचओ, इंदौर कलेक्टर, कमिश्नर सहित अन्य जिम्मेदारों से टि्वटर के जरिये मदद मांगी पर किसी ने मदद नहीं की।
25 मार्च की शाम को चेस्ट सेंटर एमवायएच में पिता को भर्ती किया, लेकिन वहां भी ठीक से इलाज नहीं किया गया। 28 मार्च को सुबह 5 बजे पिता की मृत्यु हो गई। 28 की शाम को कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आई। अगर पिता को समय पर इलाज मिल जाता तो आज वे जीवित होते।
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