
विश्वपृथ्वी दिवस पर बुधवार की रात शहर में पहली बार ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें जिले के अलग-अलग क्षेत्रों के कवियों ने सहभागिता की। ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के दौरान कवि सुनील पुरोहित ने पृथ्वी का महत्व बताते हुए कहा हिलमिल रहते सभी यहां, यह पृथ्वी सब का घर है...किसी के पिता की जागीह नहीं ये आने वाली पीढ़ी की धरोहर है... इसी तरह अन्य कवियों ने अपनी-अपनी कविताएं सुनाई।
लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई के माध्यम से किया गया। बुधवार रात 8 बजे से शुरू हुई ऑनलाइन काव्य गोष्ठी देर रात तक चलती रही। इसके अलावा इस काव्य गोष्ठी में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष उत्कर्ष श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष सुनीता शुक्ला, विवेक श्रोत्रिय, राजीव वर्मा, हीरालाल चोयल, एसएल गंभीर सहित अन्य ने अपनी-अपनी कविताएं पढ़कर सुनाई। इसके अलावा कोरोना महामारी को लेकर भी कवियों के बीच में चर्चा की गई।
जानिए... काव्य गोष्ठी के कुछ अंश
कवि उत्कर्ष श्रीवास्तव ने कहा ना अमीर गरीब होगा, ना गरीब अमीर, कयामत के दिन ना घृणा होगी, ना नफरत कोई कयामत के दिन, बस इंसान इंसान की मदद को होगा कयामत के दिन।
कवि हीरालाल चोयल ने अपनी कविता के माध्यम से कहा आज इंसान को कुदरती शक्ति का अहसास हो गया, पल भर में उपलब्धियों के अहंकार का नाश हो गया।
कवि विवेक श्रोत्रिय ने कहा हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है बराबर और विपरीत, दुख के सुख का आना है प्रकृति की रीत।
कवि सुनीता शुक्ला ने गीत के माध्यम से कहा लॉकडाउन में जाना नही घर छोड़के, घर छोड़के।
कवि देवेंद्र दसौंधी ने निमाड़ी रचना प्रस्तुत की, बोले काला मुंडा का तू जग म छायो, काल बनी न तू कोरोना आयो।
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