क्यों भैया.. ये फफूँद लगा जहरीला खाना खिलाकर हमारी जान लोगे क्या... यह कहना था शुक्रवार की दोपहर मुख्य रेलवे स्टेशन पर पहुँची मुंबई-पटना श्रमिक एक्सप्रेस के यात्रियों का, जिन्हें रेलवे की ओर से बास मारते फफूँद लगे पराठे दिए गए जो सड़ने के बाद हरे हो गए थे। उसके बाद बड़ी संख्या में नाराज यात्री एक जगह एकत्रित हो गए और हंगामा करने लगे। बाद में रेलवे के अधिकारियों के पहुँचने पर बासे खाने काे वापस लेने के बाद यात्रियों को नमकीन के पैकेट्स देकर रवाना किया गया क्योंकि उनके पास और भोजन उपलब्ध नहीं था। आला रेल अधिकारियों ने श्रमिकों को वितरित किए जाने वाले भोजन के मामले में हद दर्जे की लापरवाही सामने आने के बाद मामले की जाँच के आदेश दे दिए हैं लेकिन इस घटना ने रेलवे द्वारा श्रमिक ट्रेनों के यात्रियों को दिए जा रहे भोजन की क्वालिटी और घपलेबाजी की पोल खोल कर रख दी है।
बासे खाने का सैम्पल लेने में आनाकानी को लेकर बहस यात्री शमशाद आलम, मो. तबरेज ने बताया कि पराठे में फफूँद लगी थी जिससे यह साबित होता है किरेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों ने खाने की चैकिंग नहीं की। वहीं हंगामे की जानकारी मिलने पर स्टेशन कमर्शियल मैनेजर टीडी कोष्टा मौके पर पहुँचे, जब मौके पर मौजूद जीआरपी टीआई मनजीत सिंह ने फफूँद लगे पराठे दिखाए तो श्री कोष्टा ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि बाहरी व्यक्ति द्वारा उठाए गए पैकेट का सैम्पल नहीं लेंगे, यह बात सुनकर श्री सिंह काे गुस्सा आ गया और दोनों के बीच बहस हो गई। इसके बाद मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक नील कमल को खाने का सैम्पल लेने को कहा गया लेकिन वो फफूँद लगे पराठे का सैम्पल लेने की बजाय अच्छे खाने का सैम्पल लेने लगा। जिससे नाराज टीआई ने फफूँद लगे पराठों के पैकेट को जब्त कर लिया।
श्रमिक ट्रेन में खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायत मिली है, जिसे बदलवा दिया गया है। इस मामले में जाँच के आदेश दे दिए हैं।
संजय विश्वास, डीआरएम जबलपुर
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