ग्वालियर के 15 से अधिक डाॅक्टर कागजों में दतिया व शिवपुरी के सरकारी मेडिकल काॅलेजों में नौकरी कर रहे हैं। ये न तो ड्यूटी पर जाते हैं न इस गुमनाम नौकरी के बारे में घर, क्लिनिक या फिर प्राइवेट प्रैक्टिस वाले स्थान पर कोई नेम प्लेट लगाते हैं। इनका वेतन निकलता रहता है। ये वेतन किसकी जेब में जाता है, ये जांच का विषय हो सकता है लेकिन इस फर्जीवाड़े के सहारे इन दोनों मेडिकल काॅलेजों की मान्यता चल रही है। काॅलेज प्रशासन रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं कर पा रहा है।
एमसीआई के हैड काउंट में हैं ग्वालियर के डॉक्टरों के नाम
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की वेबसाइट पर शिवपुरी मेडिकल काॅलेज के हैड काउंट में ग्वालियर के चर्म रोग विशेषज्ञ खोजेमा सेफी, जनरल सर्जरी में डाॅ. अंकुर ग्रोवर व निश्चेतना विभाग में सीनियर रेजीडेंट के तौर पर सुशील शर्मा का नाम है। डाॅ. सेफी तो जीआर मेडिकल काॅलेज ग्वालियर में एसोसिएट प्रोफेसर के पद से कई वर्ष पहले रिजाइन कर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर की तुलना में कैडर व सैलरी वाइज बहुत जूनियर स्तर पर शिवपुरी में सीनियर रेजीडेंट के पद पर ज्वाॅइन करने की क्या जरूरत थी, ये जांच से ही पता चल सकता है। इसी प्रकार दतिया मेडिकल काॅलेज में टीबी चेस्ट स्पेशलिस्ट डाॅ. दीपक चौपड़ा हैं। ये ऐसे डाॅक्टर हैं जिनके क्लीनिक पर मरीजों की भीड लगी रहती है।
प्रदेश के सभी नए मेडिकल कॉलेजों में यही फर्जीवाड़ा
प्रदेश में नए खुले मेडिकल कॉलेजों में यही हाल हैं। शिवपुरी, दतिया के साथ शहडोल, रतलाम के मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर की कमी है। ऐसे में एमसीआई के निरीक्षण के समय हेड काउंट पूरा दिखाने के लिए कई डॉक्टरों को शो किया जाता है।
डॉ. चौपड़ा का नाम लिस्ट में नाम कैसे आया, हम चेक कराते हैं
डॉ. दीपक चौपड़ा ने पहले हमारे यहां ज्वाॅइन किया था लेकिन अब वे हमारे कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। कॉलेज की वेबसाइट पर उनका नाम शो कैसे हो रहा है। मैं चैक करवाता हूं। अगर मेडिकल कॉलेज के अन्य कोई डॉक्टर ग्वालियर में प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं, तो जांच कर कार्रवाई करेंगे।
डॉ. राजेश गौर, डीन, दतिया मेडिकल कॉलेज
लिस्ट चेक करवाती हूं
मेडिकल कॉलेज में ग्वालियर के प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के नाम पता करने के लिए लिस्ट चेक करवाती हूं। अभी मेरे पास इस संबंध में जानकारी नहीं है।
इला गुजरिया, डीन, शिवपुरी मेडिकल कॉलेज
मैं दतिया में नहीं हूं
दतिया मेडिकल कॉलेज के चेस्ट एंड टीबी विभाग में मेरा नाम कैसे आया यह जानकारी मुझे नहीं है। दतिया मेडिकल कॉलेज से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
डॉ. दीपक चौपड़ा, चेस्ट एंड टीबी स्पेशलिस्ट
जिम्मेदार अफसरों से दैनिक भास्कर के 4 सवाल
- दतिया व शिवपुरी मेडिकल काॅलेज के कई डाक्टर मुफ्त का वेतन ले रहे हैं?
- ये लोग ग्वालियर व अन्य शहरों में रहकर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं?
- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर भी इनके नाम दर्ज हैं?
- डाॅक्टर स्वयं मना कर रहे हैं वे नौकरी नहीं कर रहे हैं फिर उनके नाम कैसे चल रहे हैं?
संजय शुक्ला प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग मप्र
- अगर ऐसा है, तो हम इस मामले में एक्शन लेंगे। मैं आज ही इसकी जानकारी लेता हूं।
- यह गलत है, मुख्यालय छोड़ कर डॉक्टर प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं।
- इसकी जांच कराई जाएगी, जो भी सच होगा, जांच में सामने आ जाएगा।
- दतिया व शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी की पूरी लिस्ट चेक कराई जाएगी।
एमबी ओझाअध्यक्ष, शिवपुरी, दतिया व ग्वालियर मेडिकल कॉलेज
- यह कैसे हो सकता है। हम संबंधित डॉक्टरों की डीन से जानकारी लेंगे।
- डॉक्टर जिले के बाहर प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। यह नियम में स्पष्ट है।
- हम एमसीआई की वेबसाइट और कॉलेज के डॉक्टरों की लिस्ट चेक कराएंगे।
- हम इस मामले की विस्तृत जांच कराएंगे। जांच के बाद पता चलेगा कि सही क्या है।
नोट: खबर में केवल कुछ डाॅक्टरों के ही नाम हैं। एमसीआई व काॅलेज के रिकाॅर्ड की जांच से कुछ और नाम सामने आ सकते हैं। कुछ ऐसे डाॅक्टर भी हैं जिनकी नौकरी तो दतिया व शिवपुरी में हैं लेकिन प्रैक्टिस झांसी व ग्वालियर में कर रहे हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2NuW4qf
via IFTTT