नागदा में 2500 करोड़ की लागत से ग्रेसिम स्टेपल फाइबर डिवीजन के विस्तारीकरण के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने एनओसी जारी कर दी है। प्लांट के विस्तार में निवेश बिड़ला समूह करेगा। इससे कुल 2820 नए रोजगार का सृजन होगा। इसमें लगभग 2500 स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। ग्रेसिम के जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास के अनुसार ग्रेसिम को पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने स्टेपल फाइबर, साल्वेंट, स्पन सेल्युलोसिक फाइबर, सल्फ्यूरिक एसिड एवं सीपीपी विस्तार की पर्यावरणीय अनुमति मिलने के बाद विस्तारीकरण का रास्ता साफ हो गया है। ग्रेसिम ने मेहतवास
के समीप नए प्लांट को लगाने की अनुमति चाही है। नए प्लांट में कपड़ा बनाने में आवश्यक फाइबर का ही उत्पादन किया जाएगा। इसमें एक्सल फाइबर भी बनाया जाएगा। इसकी वैश्विक बाजार में अच्छी डिमांड है। नया प्लांट लगाने के
लिए 55 मेगावॉट पॉवर प्लांट लगाने की अनुमति भी मांगी गई है। गौरतलब है कि शहर में 1956 में फाइबर संयंत्र की स्थापना के बाद ग्रेसिम प्रबंधन का यहां एक और प्लांट विकसित करने का यह निर्णय शहर के व्यापारिक क्षेत्र को तो मजबूती देगा ही, रोजगार सृजन में भी बड़ा कदम होगा। फिलहाल ग्रेसिम के स्टेपल फाइबर डिविजन में 460 टन कृत्रिम फाइबर का उत्पादन होता है। शहर में इस प्लांट को लगाने का कारण चंबल है, जिसके पानी से कृत्रिम फाइबर का उत्पादन विश्वभर में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। नए प्रोजेक्ट से प्रतिवर्ष 2 लाख 33 हजार टन से ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है। फिलहाल पर्यावरणीय अनुमति मिलने से यह प्रोजेक्ट दूसरे चरण में पहुंच चुका है। प्लांट विस्तारीकरण से शासन को मिलने वाला टैक्स भी डेढ़ गुना हो जाएगा। फिलहाल अकेले ग्रेसिम उद्योग से ही प्रतिदिन 1 करोड़ रु. के टैक्स की आय सरकार को होती है।
विस्तारीकरण में जेडएलडी प्लांट निभाएगा भूमिका
कृत्रिम फाइबर निर्माण का महत्वपूर्ण घटक पानी है। फिलहाल ग्रेसिम ने चंबल पर चार डेम निर्मित किए हुए है। इसकी जल संग्रहण क्षमता 1083 एमसीएफटी है। प्रतिदिन डेढ़ एमसीएफटी पानी (एक एमसीएफटी में 2 करोड़ 88 लाख लीटर पानी) की खपत अकेला ग्रेसिम उद्योग करता है। ऐसी स्थिति में नए प्लांट के विस्तारीकरण के लिए ग्रेसिम को अधिक पानी की आवश्यकता होगी। ग्रेसिम प्रबंधन का दावा है कि विस्तारीकरण में उन्नत टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा, जिसमें पानी की आवश्यकता वर्तमान से आधी रह जाएगी। उत्पादन बढ़ने के बाद भी जरूरत के पानी का बड़ा हिस्सा 2021 में जेडएलडी प्लांट(जीरो वाटर लिक्विड डिस्चार्ज) ही कर देगा।
ग्रेसिम ने दी अंडरटेकिंग, इसलिए आगे बढ़ा प्रोजेक्ट
ग्रेसिम प्रबंधन को प्लांट विस्तार की अनुमति में काफी कानूनी पेंच भी बताए जा रहे हैं। अव्वल तो जिस जमीन पर विस्तार होना है उस जमीन को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, साथ ही जनहित याचिका भी लंबित है। इन सभी याचिकाओं पर ग्रेसिम प्रबंधन पहले ही अंडरटेकिंग प्र्रस्तुत कर यह सहमति दे चुका है कि भविष्य में जो भी कोर्ट का निर्णय आएगा वो उन्हें मान्य होगा।
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