लाॅकडाउन में शराबबंदी और उसके बाद ठेकेदारों से विवाद के कारण प्रदेश सरकार को लगभग 2625 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदारों को दिए गए विकल्प को स्वीकार करने या फिर ठेका छोड़ने का निर्णय लेने के लिए तीन दिन का समय दिया है। इस निर्णय के बाद सोमवार को स्थिति स्पष्ट होगी, लेकिन संभावना यह है कि जिन ठेकेदारों ने अभी लाइसेंस फीस व बैंक गारंटी जमा नहीं की है उनमें से अधिकांश ठेकेदार शराब ठेके छोड़ देंगे।
जब शासन शराब दुकानों के लिए नए टेंडर करेगा तो अब कोरोना आपदा के कारण शराब दुकानों के मूल्य घटाने पड़ेंगे और इससे फिर सरकार को नुकसान होगा।
शासन ने 3 मई को रेड जोन के शहरी क्षेत्रों को छोड़कर शेष शराब दुकानें खोलने के निर्देश दिए थे। लेकिन दुकानें नहीं खुलीं, शराब ठेकेदार कोरोना आपदा के कारण कारोबार को हुए नुकसान से राहत देने की मांग कर रहे थे। इस पर सरकार ने ठेके की अवधि विगत वर्ष मार्च से बढ़ाकर 31 मई तक करने व देशी व अंग्रेजी शराब की कीमतों में 10-20 फीसदी तक कीमत बढ़ाने व फीस जमा करने की अवधि बढ़ाने का विकल्प ठेकेदारों को दिया था। इस विकल्प पर 32 जिलों में शराब ठेकेदार तैयार नहीं हुए।
ग्वालियर जिले को दो माह में लगभग 72 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होना था लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की ही दुकानें खोली जाने से केवल लगभग 8 करोड़ रुपए का ही राजस्व मिला है। यहां 64 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।
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