नीता सिसाैदिया,सरकार ने मप्र में भी “पूल-टेस्टिंग’ काे मंजूरी दे दी है। यानी एकसाथ पांच-पांच सैंपल जांचे जाएंगे। इसके लिए प्रदेश की सभी सरकारी व निजी लैब को निर्देश भी जारी हो गए हैं। इससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी। लो-रिस्क एरिया (बीमारी से कम प्रभावित क्षेत्र) में इस पद्धति से जांच के लिए कहा गया है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इसके लिए गाइड लाइन जारी कर दी है। इसी के साथ राज्य सरकार ने सभी जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि लो-रिस्क एरिया (बीमारी से कम प्रभावित क्षेत्र) में पांच-पांच सैंपल्स की पूल टेस्टिंग की जाना है। जांच के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई, मतलब सभी की रिपोर्ट निगेटिव है। लेकिन यदि रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो फिर उस ग्रुप के सभी सैंपल्स की आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेस चेन रिएक्शन) जांच की जाएगी।
अलग मशीन की आवश्यकता नहीं, जांच की पद्धति भी वही
माइक्राेबायाेलाॅजिस्ट और आईएमए सचिव डाॅ. साधना साेडानी ने बताया कि इसके लिए अलग मशीन की जरूरत नहीं हाेती है। जांच की पद्धति भी वही है जिससे अभी जांच की जा रही है। पूल-टेस्टिंग वहां उपयाेगी है जहां कम्यूनिटी में बीमारी का प्रिवलेंस कम हाे। इंदाैर की बात करें ताे फिलहाल यहां केस आ रहे हैं। यदि पांच में से एक सैंपल भी पॉजिटिव आ गया ताे पूरे ग्रुप के सैंपल्स को पॉजिटिव माना जाएगा। यह ऐसी जगह ज्यादा उपयोगी है जहां बीमारी का प्रकोप कम है। सभी सैंपल्स की बारी-बारी से जांच की जाएगी। यह जांच का फास्ट तरीका है।
रिजल्ट निगेटिव तो पांचों होंगे निगेटिव
आबादी में बीमारी की व्यापकता का पता लगाने के लिए पूल-टेस्टिंग की जाती है। इसमें पांच सैंपल्स की थोड़ी मात्रा एक ही वायरल ट्रांसपोर्ट (वीटीएम) में डाली जाएगी। फिर जांच की जाएगी। यदि एक भी व्यक्ति में संक्रमण होगा तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाएगी। जिसके बाद इन पांचों सैंपल्स की दोबारा जांच करना होगी लेकिन यदि रिजल्ट निगेटिव आया तो सभी की रिपोर्ट निगेटिव होगी। यानी पांच बार करने की जरूरत नहीं होगी, एक बार में ही पता लग जाएगा।
निजी लैब में 4500 रुपए में हो रही जांच
कोरोना संक्रमण की जांच बहुत महंगी होती है। निजी लैब में ही 4500 रुपए में यह जांच की जा रही है जबकि राज्य सरकार ने अनुबंधित लैब से 2500 रुपए प्रति सैंपल जांच का अनुबंध किया है। इंदौर की बात करें तो एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पांच निजी लैब को सैंपल भेजे जाते हैं। अब तक निजी लैब को ही करोड़ों रुपए का भुगतान सरकार कर चुकी है। वहीं राज्य सरकार भी प्रति सैंपल जांच में हजारों रुपए खर्च कर रही है।
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