मंगलनाथ रोड पर पांच हजार से ज्यादा साल पुराना गुरुकुल ऋषि सांदीपनि का आश्रम है। यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा पढ़े थे। गुरु पूर्णिमा पर यहां बच्चों का अब भी विद्या आरंभ संस्कार किया जाता है। कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के कारण 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर आश्रम में यह संस्कार भी नहीं होगा। ऐसा संभवत: पहली बार हो रहा है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण व भाई बलराम शिक्षा प्राप्त करने ऋषि सांदीपनि के आश्रम आए थे। उन्होंने यहां 64 दिन रह कर 64 कलाएं और विद्याएं सीखीं थी। उज्जैन से शिक्षा ग्रहण करने के दौरान उन्होंने अनेक प्रयोग भी किए। माना जाता है कि नारायणा में उन्होंने कालगणना की थी। वहां रखी मौली इसकी प्रतीक है। श्रीकृष्ण उज्जैन से लौटने के बाद ही द्वारकाधीश के नए स्वरूप में उभरे। यानी ऋषि सांदीपनि के आश्रम से उन्हें वह सब शिक्षा मिली जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। सांदीपनि आश्रम में प्रतीकात्मक रूप से आश्रम परिसर में विद्याओं और कलाओं का प्रदर्शन भी किया गया है। पुजारी रूपम व्यास के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर आश्रम में बच्चों को विद्या आरंभ संस्कार कराया जाता है। संभवत: यह पहला अवसर होगा जब आश्रम व मंदिर में दर्शनार्थियों का प्रवेश प्रतिबंधित है। ऐसे में बच्चों को विद्या आरंभ संस्कार भी नहीं हो सकेगा। नागरिक गुरु पूर्णिमा पर आश्रम के सोशल मीडिया पेज पर ऋषि सांदीपनि, गुरुमाता और शिष्य श्रीकृष्ण, बलराम व सुदामा के दर्शन कर सकते हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZzC3UT
via IFTTT