संजय गुप्ता, लॉकडाउन के दो माह अप्रैल, मई के दौरान आर्थिक गतिविधियां बंद होने से कारोबार के साथ ही शासन को भी राजस्व के मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान खाद्य सामग्री की ही खरीदी-बिक्री हुई और इस पर जीएसटी की दर सबसे कम केवल पांच फीसदी होती है, इसके चलते केवल 40 फीसदी टैक्स ही मिला है। वहीं दवा बिक्री, पीपीई किट आदि मेडिकल सामग्री की बिक्री से जीएसटी मिला। शासन को अप्रैल और मई माह के दौरान करीब छह हजार करोड़ का टैक्स आना था, लेकिन केवल 2400 करोड़ रुपए ही मिले हैं। वहीं इंदौर में दो माह में 20 हजार करोड़ का कारोबार ठप रहा। इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल की बिक्री 40 फीसदी कम हुई, शराब दुकान व पंजीयन काम भी बंद रहा। इन सभी से शासन को इंदौर से ही दो माह में 2300 करोड़ रुपए की आय होना थी, लेकिन केवल 600 से 700 करोड़ के बीच ही यह आंकड़ा पहुंचा और इंदौर से ही शासन को 1700 करोड़ के राजस्व का दो माह में नुकसान हो चुका है।
इस तरह अलग-अलग मोर्चे पर आई राजस्व में कमी
- कारोबार होने से इंदौर से ही हर माह शासन को जीएसटी से 700 करोड़ करीब मिलता है, दो माह में 1400 करोड़ आने थे, लेकिन केवल 500 करोड़ करीब ही आए।
- पेट्रोल-डीजल की बिक्री से हर माह इंदौर से शासन को 200 करोड़ करीब का राजस्व मिलता है, दो माह में 400 करोड़ मिलने थे, आए केवल 150 करोड़।
- पंजीयन विभाग से हर माह सौ करोड़ की आय है, जो माह में शून्य रही। दो सौ करोड़ का नुकसान।
- शराब दुकानों से हर माह सौ करोड़ का राजस्व आता है, वह भी दो माह से शून्य।
- डायवर्शन टैक्स, खनन आदि से हर माह औसतन 40 करोड़ मिलता है यह भी आय शून्य रही- 80 करोड़ का नुकसान
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