मानव जीवन में दायित्वों से मुकर नहीं सकता। जीवन में व्यक्ति अपने निर्माण, परिवार और समाज निर्माण में भी उत्तरदाई होता है। मानव जीवन में मनुष्य को पुत्र-पुत्री, मां, बहन, भाई, पति-पत्नी जैसे पारिवारिक दायित्वों के अतिरिक्त समाज और राष्ट्र के लिए भी अनेक जिम्मेदारियां अपने हाथ में लेना होती है। तब जाकर मनुष्य जीवन सार्थक होता है। इसलिए वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं श्रीराम शर्मा आचार्य के द्वारा कहा गया है कि अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है। ये विचार शिक्षाविद साहित्यकार डॉ. शिवनारायण सक्सेना प्रज्ञा निवास में आयोजित डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की चेयरपर्सन एवं स्तंभकार निवेदिता मुकुल सक्सेना के द्वारा लिखित क्या है जिम्मेदारी हमारी पुस्तक के विमोचन अवसर पर कही।
सक्सेना ने कहा कि मनुष्य अपनी जिम्मेदारी से मुखर होता है यह अत्यंत दु:खदाई है। मनुष्य को अपने कार्यों का चिंतन-मनन करना चाहिए। अपने दायित्वों का आकलन करना आवश्यक है। सकारात्मक सोच के साथ सक्रिय रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों की समझ आ सके यही इस पुस्तक को लिखने का मूल उद्देश्य है।
सक्सेना ने बाल श्रमिकों के लिए आवासीय विद्यालयों की आवश्यकता बताई और बाल श्रमिकों के लिए शासकीय योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता को महत्त्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम में कवि पेरोडीकार फिरोज सागर ने अपनी पेरोडियां प्रस्तुत की। विमोचन कार्यक्रम में अर्पण कला मंच के अध्यक्ष धनराज वाणी और कविता वाणी ने मानव मूल्यों विषयक कविताएं पढ़ीं। इस अवसर पर मानवाधिकार आयोग मित्र शिवराम वर्मा, प्राचार्य रविकांता वर्मा, शिक्षक जयप्रकाश शर्मा वरिष्ठ नागरिक शारदा सक्सेना झाबुआ, सीता सक्सेना आदि उपस्थित उपस्थित थे।
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