जय शिव यात्री कावड़ संघ ने इस वर्ष अपनी 20 वीं यात्रा निकाली। इसमें विशेष बात यह रही कि इस यात्रा में जिले के गांव से हर बार 5000 से ज्यादा कावड़ सजाकर सदस्य शामिल होते थे, परंतु इस वर्ष कोरोना के कारण केवल 21 कावड़ियों को ही महाकाल में जल चढ़ाने की अनुमति मिली है। सोमवारिया स्थित बाल वीर हनुमान मंदिर से यह कावड़ यात्री 8:30 बजे अपनी यात्रा प्रारंभ कर उज्जैन के लिए रवाना हो गए। कावड़िए पहले मक्सी में शाम को रुककर खाना खाएंगे। वहां से यात्रा फिर शुरू कर देंगे। यात्रा को कहीं पर भी रोका नहीं जाएगा। सभी कावड़ यात्री दिन में और रात में भी कावड़ उठाकर बोल बम के नारे के साथ उज्जैन पहुंचेंगे। सोमवार को शिप्रा में स्नान कर और पूजन कर महाकाल मंदिर पहुंचकर बाबा का जलाभिषेक करेंगे। मंगलवार को पुनः शहर में वापस आ जाएंगे।
कावड़ संघ के संस्थापक संतोष जोशी ने बताया महामारी को देखते हुए 21 से ज्यादा कावड़ियों को यात्रा में शामिल करने की अनुमति नहीं थी। इस कारण केवल 21 लोग ही इस यात्रा में शामिल हुए। कावड़ यात्रा में इस बार बैंड व अखाड़ा को शामिल नहीं किया गया।
इस बार कावड़ यात्रा को रखा गया गुप्त
कौशल कसेरा बताते हैं कि यह यात्रा 2001 में 82 लोगों के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद ऐसी कावड़ यात्रा को ऐसी प्रसिद्धि मिली की जिले से 5000 से ज्यादा लोग इस यात्रा में शामिल होने लगे। इस बार भी सभी कावड़ यात्री यात्रा में शामिल होना चाहते थे। महामारी को देखते यात्रा का रद्द करने का फैसला किया गया, लेकिन परंपरा अनुसार 21 लोगों ने यात्रा के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रशासन से अनुमति ली। फिर भी यात्रा में जिले के कई लोग शामिल हो सकते थे। इस कारण इसे गुप्त रूप से रखा गया।
यह है यात्रा में शामिल- यात्रा के संस्थापक संतोष जोशी, कौशल कसेरा, सत्यावात्रे, प्रदीप चंद्रवंशी, तुलसीराम भावसार, ओमप्रकाश भावसार, नरेंद्र प्रजापति, धर्मेंद्र प्रजापति, दिनेश प्रजापति, राहुल प्रजापति, कपिल सोलंकी, अजय सिंह चंदेल, अमित नैयर, आशीष गोठी, बालू चौधरी, दिलीप सिंह राजपूत, जितेंद्र सिंह राजपूत, गौरव जोशी, राजेश प्रजापति, प्रेम यादव राजेश तोमर, मनीष पाटीदार को प्रशासन की तरफ से अनुमति मिल चुकी है।
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