इंदौर सहित प्रदेशभर के नगरीय निकाय अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में मिले फंड की राशि दूसरे प्रोजेक्ट में खर्च नहीं कर पाएंगे। उन्हें यह भी बताना होगा कि जो राशि इस फंड से खर्च कर रहे हैं, वह किस तरह शहर और वहां के रहवासियों का जीवन स्मार्ट बना सकती है। अभी इस फंड के तहत जो प्रोजेक्ट लिए हैं, उनकी भी दोबारा समीक्षा उन निकायों को और स्मार्ट िसटी कंपनी बोर्ड को करना होगी। यह निर्देश इंदौर, भोपाल, ग्वालियर सहित अन्य निकायों के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की समीक्षा के बाद मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने दिए।
क्षेत्र क्रमांक 4 के दो प्रोजेक्ट पर होगा असर
इंदौर में भी कई प्रोजेक्ट निगम में पैसे की कमी के चलते स्मार्ट सिटी फंड से हो रहे थे। अब यह भी रुक जाएंगे। इनमें क्षेत्र क्रमांक 4 के दो प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, जो अब निगम को अपनी मद से करना होंगे। इनमें दशहरा मैदान और विश्राम बाग का विकास शामिल है।
रैंकिंग में आगे लेकिन स्मार्ट सिटी एरिया के कई काम अब भी बाकी
- इंदौर भले ही देशभर में स्मार्ट सिटी की रैकिंग में टॉप-5 में है, लेकिन एबीडी एरिया के कई विकास कार्य अभी होना बाकी हैं। इनमें राजबाड़ा और आसपास की 32 में से 12 सड़कों पर ही काम हुआ है। 20 से ज्यादा बाकी हैं।
- इस एरिया में अंडर ग्राउंड पानी की लाइन, बिजली की लाइन, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेन का काम 20 प्रतिशत भी नहीं हुआ है। स्कॉडा सिस्टम के तहत 24 घंटे पानी देना भी इस प्रोजेक्ट में शामिल है, लेकिन यह काम भी अभी नहीं हुआ है।
अब तक 600 करोड़ इंदौर खर्च कर चुका, फोकस स्मार्ट सिटी पर
इंदौर को अब तक हजार करोड़ में से 600 करोड़ मिले हैं। यह खर्च भी हो चुके हैं। इंदौर के अलावा भोपाल ही है, जहां जो राशि आई, खर्च हुई है। ग्वालियर के 300 करोड़ बैंक में हैं। हालांकि इंदौर में भी स्मार्ट सिटी फंड का पैसा स्वच्छ भारत मिशन में ज्यादा खर्च हुआ है। इसमें ऑटोमैटिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन, वाहनों की जीपीएस ट्रैकिंग जैसे काम भी शामिल हैं।
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