मानसून की खेंच से सोयाबीन की फसल मुरझाने लगी है। जवासिया कुमार, हरसोदन, दत्तरावदा, मानपुरा, चंदेसरा, चंदेश्वरी, कुमारिया, चिंतामन जवासिया, उज्जैन तहसील के गांवों में कम बारिश होने की वजह से सोयाबीन की फसल काे नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। साथ में चूहे भी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से कुएं, तालाब ,ट्यूबवेल में भी पानी नहीं आया है।
कृषि विभाग के अनुसार इस बार पांच लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी हुई है। इसमें से सबसे ज्यादा 4 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई है। किसानों का कहना है कि जिन लोगों ने जल्दी पकने वाली सोयाबीन की बोवनी की है उनके लिए पानी की जरूरत ज्यादा है। उनका कहना है कि एक सप्ताह में पानी नहीं बरसा तो परेशानी आ सकती है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र कौशिक का कहना है कि अधिकांश खरीफ फसलेें पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहती हैं। सोयाबीन, मूंग, मक्का को एक अंतराल में पानी मिलता रहे तो मिट्टी में नमी भी बनी रहती है और उनकी पानी की कमी भी पूरी होती है लेकिन बारिश की खेंच से मिट्टी में दरारें आने लगती हैं। इससे आने वाले वक्त में जब भी बारिश होती है तब ज्यादा पानी जमीन के नीचे चला जाता है। ऐसे में एक अंतराल में बारिश होना जरूरी है।
बारिश नहीं हुई तो पैदावार पर असर
गत वर्ष कटाई के वक्त ज्यादा बारिश से सोयाबीन की फसल लगभग चौपट हो गई थी। इस वर्ष मानसून की बेरुखी से सोयाबीन की फसल मुरझाने लगी है। यह वक्त फ्लॉवरिंग का है। ऐसे में पानी नहीं मिला तो पैदावार पर असर पड़ेगा। उन क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा खराब है जो पथरीले हैं।
अजय पटेल,जवासिया कुमार
सख्त हो रही जमीन, चूहे कुतरे रहे फसल
कम बारिश से चूहे फसल को काट रहे हैं। जमीन कड़क हो गई है। सोयाबीन की फसल की बढ़वार नहीं हो पा रही है। खरपतवार नाशक छिड़काव किया था। उसके बाद पानी की जरूरत होती है। सोयाबीन को नुकसान हो रहा है। एक-दो दिन में कुएं से सिंचाई करना होगी।
गोपाल आंजना,चिंतामन जवासिया
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ज्यादा नुकसान
ऊंचाई वाले क्षेत्रों और भूरी मिट्टी पर सोयाबीन की बुवाई की थी जिसमें पानी ज्यादा लगता है लेकिन कम बारिश से फसल बर्बाद होने की आशंका है। ऐसी ही स्थिति 2018 में बनी थी। तब फसल बीमा मिला न ही पानी गिरा था। दोबारा बोवनी भी करना पड़ी थी। इसके बावजूद पैदावार अच्छी नहीं हुई।
प्रवीण जाट, हरसोदन
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