नगर निगम इन दिनों दोहरी मुसीबत से जूझ रहा है। एक तो निगम आर्थिक रूप से कमजोर हो गया है और इसी दौरान खर्च भी अधिक करना पड़ रहा है। निगमायुक्त ने वित्तीय वर्ष में 410 करोड़ की वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया है ऐसे में राजस्व विभाग के ऊपर अधिक वसूली का भार आ गया है लेकिन कोरोना के कारण आम करदाता इतने डरे हुए हैं कि निगम कर्मचारियों से बातें तक करने वे तैयार नहीं होते। कई मामले तो इतने मजेदार हैं कि निगम कर्मी आपस में जोक्स बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं।
एक कर्मचारी एक करदाता के घर के प्रथम तल तक पहुँच गया तो करदाता ने उसकी शिकायत कर दी कि यह हमारे घर आया कैसे, यदि कोरोना हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा। एक दूसरे मामले में तो एक करदाता ने महापौर कार्यालय तक शिकायत कर दी कि उसके घर के बरामदे में निगम कर्मी ने बिल कैसे फेंक दिया यदि परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हुआ तो निगम पर मामला दर्ज कराया जाएगा। राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी नोटिस, कुर्की, चेतावनी, वार्तालाप हर कोशिश कर वसूली करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोरोना ने लोगों को इतना डरा कर रखा हुआ है कि वे निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की बातें सुनने तैयार ही नहीं होते हैं। निगम के कर्मचारी जब किसी करदाता के घर पहुँचते हैं तो गेट खटखटाने या डोरबैल बजाने के बाद घर के अंदर से आवाज आती है कौन है, बताने पर कि निगम से आए हैं तो कहा जाता है कि अभी कोरोना के कारण किसी से नहीं मिल रहे बाद में आना। कर्मचारी कहता है कि बिल तो ले जाओ तो फिर कहा जाता है कि हमें नहीं लेना बाद में ले लेंगे। कई घरों में तो दुत्कार भी मिलती है कि शर्म नहीं आती लोग वैसे ही परेशान हैं और तुम्हे टैक्स की पड़ी है, भागो यहाँ से।
14 नम्बर जोन का टीसी पॉजिटिव तो कार्यालय बंद
निगम के 14 नम्बर जोन यानी दमोहनाका का एक टैक्स कलेक्टर पॉजिटिव आ गया है, जिसे लेकर बाकी कर्मचारियों और अधिकारियों में दहशत छा गई है, जिसे देखते हुए पूरे जोन कार्यालय को बंद करा दिया गया और सभी 35 कर्मचारियों और अधिकारियों के टेस्ट कराए गए हैं। अब रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की योजना बनाई जाएगी।
410 करोड़ में से 30 करोड़ आ गए
कोरोना के बाद भी नगर निगम में करीब 30 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है और रोजाना औसतन 50 लाख रुपए आ रहे हैं। वसूली का टारगेट इतना बड़ा है कि इस संकट काल में उसका आधा होना भी मुश्किल जान पड़ रहा है फिर भी अमला जुटा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष का करीब 12 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया था, जिसे अभियान चलाकर अब तक करीब 9 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं और 31 जुलाई तक का समय दिया गया है वरना उसके बाद 8 फीसदी अधिभार लगने लगेगा।
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