गवाह के रूप में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना एक व्यक्ति को महंगा पड़ गया। एयरपोर्ट के कंट्रोल एरिया में काॅलोनी काटे जाने पर प्रशासन ने केस दर्ज किया। दस्तावेजों में गवाह के रूप में जिन्होंने साइन की उनके भी खिलाफ केस दर्ज हुआ। सात महीने जेल में रहने के बाद अब हाई कोर्ट ने न केवल दो लाख रुपए के निजी बांड भरने की शर्त रखी, बल्कि कोविड अस्पताल में 50 पीपीई किट भी देने को कहा। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने यह फैसला जारी किया है। एयरपोर्ट क्षेत्र के अभिजीत नगर में एक कॉलोनी संजय दुबे, गोविंद कुशवाह द्वारा विकसित की गई। प्लाॅट की बिक्री भी शुरू कर दी गई थी। बगैर डायवर्शन, बिल्डर लाइसेंस के यह काम किया गया। गड़बड़ी की शिकायत हुई तो प्रशासन ने जांच की थी। काॅलोनी के दस्तावेजों में बिल्डर के साथ गवाह के रूप में अश्विन कुमार दुबे ने भी साइन किए थे। पुलिस ने अश्विन को भी गिरफ्तार किया। कोर्ट से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अश्विन की ओर से अधिवक्ता अभिनव धनोतकर ने जमानत अर्जी दायर की। इसके पहले भी दो बार अर्जी पेश की गई थी। जमानत अर्जी में उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता बिल्डर नहीं है, उसके द्वारा प्लाॅट की बिक्री की गई। कॉलोनी काटने से पहले अनापत्ति, अनुमतियां लाने का काम बिल्डर का था। केवल गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे। फिलहाल निचली कोर्ट में ट्रायल बंद है। कब शुरू होगा यह भी तय नहीं है। ट्रायल भी लंबा चलेगा। जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने शर्तों के साथ जमानत आदेश जारी किए।
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