राहुल दुबे, संक्रमण के डर से कई लोग कोरोना से दिवंगत अपने परिजन का उत्तरकार्य तक ठीक से नहीं कर पाए। अभी भी मुक्तिधामों में उनके अवशेष जमा हैं। अकेले रामबाग मुक्तिधाम में ही 600 किलो से ज्यादा राख इकट्ठा हो गई थी, जिसमें से कुछ वहां के कर्मचारियों ने ही विसर्जित की।
इकलौते बेटे की कमी खलती है
सांवेर रोड पर रहने 30 साल के नौजवान की कमी न केवल घर वालों, बल्कि दोस्तों को भी खलती है। परिजन बताते हैं कि कोरोना की चपेट में आया तो सप्ताहभर में ही अलविदा कह गया। परिवार को अब पेट पालने के लिए इधर-उधर काम मांगना पड़ रहा है।
मां बोली- बेटा जल्दी घर भिजवा
मालवीय नगर में रहने वाला परिवार मां को याद करते ही रो देता है। बेटे ने बताया, वीडियो कॉल पर मां कहती ही रह गई कि बेटा जल्दी घर भिजवा, यहां तो दम घुटता है। मैंने कहा था बस ठीक होकर चलने ही वाले हैं। तीन दिन में वह हमें छोड़कर चली गईं।
पिता को चार धाम जाना था, रह गया
धार निवासी परिवार अब भी क्वारेंटाइन है। बेटे ने बताया, मात्र 22 दिन में हमारी दुनिया ही बदल गई। पापा अच्छे भले थे, अस्पताल गए और अब फिर कभी घर नहीं आएंगे। उन्हें चार धाम जाना था, भागवत करानी थी। सब प्लानिंग अधूरी ही रह गई।
3 बेटे, पर मां को विदा न कर सके
मिल क्षेत्र में रहने वाले तीन भाई। मां का देहांत हुआ तब तीनों क्वारेंटाइन थे। बेटे कहते हैं हमारी जैसी फूटी किस्मत किसी की नहीं। अंतिम समय में मां को सजा-धजा कर विदा भी नहीं कर पाए। तीनों में से कोई एक उनके पास ही रहता था।
पिता गए, अब घर संभालना चुनौती
खजराना चौराहे पर रहने वाले पूरे परिवार की हालत दयनीय है। पिता मजदूरी करते थे। अब पूरा परिवार काम तलाश रहा है। शुरू में लोगों ने मदद की, पर अब कोई नहीं आता। पिता के क्रियाकर्म के लिए जो उधार लिया, वह भी चुकाने का दबाव है।
मां की अस्थियां कई किमी दूर हैं
जलगांव से बेटा, बहू मां का इलाज कराने इंदौर आए थे। मां को नहीं बचाया जा सका। बेटे ने बताया, मां की अस्थियां सैकड़ों किलोमीटर दूर मुक्तिधाम में विसर्जन का इंतजार कर रही है। क्वारेंटाइन पूरा होने के बाद मां की अस्थियां ले जाऊंगा।
कोविड-19 : 247 अन्य मरीजों की मौत पर सवाल
इंदौर में कोविड-19 के मरीजों की मौत का सरकारी आंकड़ा 300 पर पहुंच गया है। इस बीच, एक गैर सरकारी संगठन ने इस आंकड़े की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया और आरोप लगाया है कि बीते चार महीनों में 247 अन्य लोगों की कोरोना से मौत हुई लेकिन उन्हें संदिग्ध मान सूची में नहीं जोड़ा गया। सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने यहां मीडिया के सामने 247 कथित मृतकों की सूची जारी करते हुए कहा कि उन्हें संदेह है कि इनकी मौत भी कोविड-19 से हुई है। दुबे का दावा है कि सूची में शामिल 247 कथित मृतकों के नाम कोविड-19 से मरने वाले मरीजों के सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं हैं। इन मरीजों का इलाज एमटीएच, एमआरटीबी और चेस्ट सेंटर शामिल हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार को किसी स्वतंत्र एजेंसी से सभी 247 मृतकों के मामलों में डेथ ऑडिट करवाने की मांग की है।
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