जिला मुख्यालय से 65 किलाेमीटर दूर इंदाैर-बैतूल नेशनल हाईवे स्थित खेड़ाखाल से दाे किमी अंदर च्यवन ऋषि की तपाेस्थली चंद्रकेश्वर तीर्थ है। यहां सालभर जलमग्न रहने वाले शिवलिंग के दर्शन करने दूर-दराज से श्रद्धालु अाते हैं। सावन के तीसरे साेमवार काे भी श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे।
हालांकि काेराेना महामारी के चलते पिछले सालाें के मुकाबले इस बार कम ही लाेग आ रहे हैं। यहां नर्मदा कुंड भी है, जिसमें श्रद्धालु स्नान कर पुण्यलाभ लेते हैं। सावन में 11 पंडित रुद्राभिषेक करते हैं। वर्ष की दो अमावस्या पर जनपद पंचायत द्वारा यहां मेला लगाया जाता है। तीर्थ में एक ही पत्थर पर उकेरी गई प्रतिहारकालीन दुर्लभ प्रतिमा, चंद्रकेशर नदी के उदगम स्थल का कलकल करता झरना, सैकड़ाें वर्ष पुरानी गुफाएं, 2300 वर्ष पूर्व के किले के अवशेष लाेगाें के अाकर्षण का केंद्र हैं। इतना ही नहीं तीर्थ पर ठहरने के लिए सैंधव, यादव, जाट, प्रजापत, रेदास, वैष्णव बैरागी अादि समाज की धर्मशालाएं भी हैं। वैसे ताे पूरा तीर्थ क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत अाता है, लेकिन देखभाल ग्राम पंचायत करोंदिया ही करती है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/30tbhyc
via IFTTT