प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच तालमेल की कमी का खामियाजा कोरोना संक्रमितों को भुगतना पड़ रहा है। शुक्रवार को भी ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमें नगर निगम कर्मचारी महेंद्र सिंह कुशवाह को एंबुलेंस ने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में लाकर छोड़ दिया। लेकिन ढाई घंटे तक खड़े रहने के बाद भी महेंद्र कुशवाह को भर्ती नहीं किया जा सका। यहां तक की बार-बार पानी मांगने के बाद भी उन्हें पीने के लिए पानी नहीं दिया गया। घटना की जानकारी जब इंसीडेंट कमांडर को लगी तब उन्होंने अन्य अधिकारियों से संपर्क किया और फिर महेंद्र को एमपीसीटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा सका।
एक हजार बिस्तर के अस्पताल के निर्माण कार्य में लगे पांच कारीगरों की रिपोर्ट बुधवार को पॉजिटिव आई थी। 9 जुलाई को बिहार के कटियार से लौटे इन युवकों के संपर्क में वहां काम कर रहे 35 से अधिक लोग आए हैं। इसके बाद भी उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने में देरी की गई। इसकी जानकारी जब एडीएम किशोर कान्याल को लगी तो उन्होंने स्टाफ को भेजकर पांचों को आयुर्वेदिक अस्पताल में भर्ती कराया।
दो घंटे अस्पताल में भटकता रहा संक्रमित, दवाई देकर घर भेज दिया: आजाद नगर के किराना व्यापारी रमेश कुशवाह की रिपोर्ट गुरुवार को पॉजिटिव आई। स्वास्थ्य विभाग का अमला जब अस्पताल में भर्ती कराने नहीं पहुंचा। दो रमेश दोपहर 12 बजे के लगभग जिला अस्पताल मुरार पहुंचा। वहां डॉक्टरों को बताया कि रिपोर्ट पॉजिटिव है, इसलिए अस्पताल में भर्ती करा दीजिए। डॉक्टरों ने पूछा कि तुम्हारे घर में अलग कमरा हो तो वहीं रहो और दवाइयां लिख दी। इसके बाद वह घर पर आ गया। चौंकाने वाली बात यह है कि रमेश का भाई विनोद भी कोरोना संक्रमित है और वह भी घर में ही आईसोलेट है।
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