ज्योतिर्लिंग ओंकार महाराज हर साल भादौ के दूसरे सोमवार को ओंकार पर्वत का भ्रमण करने निकलते थे। प्रशासन द्वारा इस पर रोक लगाने से श्रद्धालुओं और पंडे-पंडितों में नाराजी है। उनका कहना है पूरे देश के प्रमुख मंदिरों में परंपराओं को सूक्ष्म रूप में ही सही लेकिन निभाया गया। ओंकारेश्वर में भी श्रावण सोमवार पर ओंकारजी की सवारी, शाही सवारी और महासवारी सूक्ष्म रूप में ही निकाली गई। श्रद्धालुओं ने भी घरों से ही दर्शन कर प्रशासन का सहयोग किया। इसी रूप में ओंकार महाराज को पर्वत भ्रमण कराया जा सकता था। प्रशासन ने इस पर रोक लगाकर तीर्थनगरी की परंपरा को तोड़कर श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाई है।
वैदिक विद्वान पं. महेश शर्मा ने कहा श्रावण के पांचों सोमवार को श्रद्धालुओं व पंडे-पंडितों ने प्रशासन का आदेश मानकर सहयोग किया। प्रत्येक सोमवार को ओंकारजी की सवारी, शाही सवारी व महासवारी सीमित श्रद्धालुओं की उपस्थिति में उत्साह से निकाली। अफसरों ने मार्ग परिवर्तन किया और भव्यता को भी सूक्ष्म किया। इसके बावजूद सबने प्रशासन का सहयोग किया। सवारी में 99 फीसदी श्रद्धालु स्थानीय रहते हैं। कोई बाहर से नहीं आया। पर्वत भ्रमण पर रोक ने इस सहयोग पर पानी फेर दिया। जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल भोपाल जाकर सीएम से मिलेगा। वरिष्ठ संत एवं महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज ने कहा जिस तरह से उज्जैन महाकाल की पालकी यात्रा इस सोमवार पर निकली है। उसी तरह भगवान श्री ओंकारेश्वर जी की भी गरिमामय पर्वत यात्रा निकाली जा सकती थी।
पूर्व कलेक्टर ने कराया था ओंकार महोत्सव, एक करोड़ खर्च किए थे
पूर्व कलेक्टर विशेष गढ़पाले व एसडीएम ममता खेड़े ने दिसंबर 2018 में तीर्थनगरी में ओंकार महोत्सव का आयोजन कराया था। उन्होंने खुद पालकी निकलवाकर कोटितीर्थ घाट पर अभिषेक कराया। अभय घाट पर पालकी को विराजित कर पूजन किया। इस कार्यक्रम में एक करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। ओंकार महाराज के परिक्रमा पथ व पर्वत भ्रमण को रोकना समझ से परे है।
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