(अभिषेक शर्मा)पुरानी छावनी चौराहे से भी 15 किमी अंदर कुलैथ गांव के पास साडा क्षेत्र में बनाए गए दो क्वारेंटाइन सेंटरों पर भी वैसी ही लापरवाही बरती जा रही है, जैसी पूर्व में श्याम वाटिका और चंद्रलोक होटल में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों में सामने आईं थीं। साडा क्षेत्र में रामकृष्ण अस्पताल को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया है। यहां पर कुल 29 लोग अलग-अलग समय में लाए गए। इसमें से 20 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव भी आ गई और उन्हें मंगलवार को डिस्चार्ज करने की तैयारी की जा रही थी।
दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने मौके पर देखा कि जिस एक हॉल में इन 20 में से 6 स्वस्थ लोगों को रखा गया है, उसी हॉल में शेष 9 संदिग्ध लोगों में से 3 संदिग्ध भी ठहरा दिए गए हैं। जिसमें से एक संदिग्ध लगातार खांस भी रहा था। इन 3 नए संदिग्धों की रिपोर्ट अगर पॉजीटिव आ गई तो इनके संपर्क में आए शेष स्वस्थ लोग भी संक्रमित हो सकते हैं और ऐसा हुआ तो पिछले 14 दिन की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
रिपोर्टर ने समझाया तो अलग-अलग किए स्वस्थ और संदिग्ध
साडा के रामकृष्ण अस्पताल में एक ही हॉल में निगेटिव मरीज और ऐसे संदिग्ध ठहराए गए जिनकी रिपोर्ट नहीं आई थी। मौके से ही दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने क्षेत्र की इंसीडेंट कमांडर वंदना यादव को फोन कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया तो उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि जो लोग स्वस्थ हो चुके हैं, उनके साथ में संदिग्धों को नहीं रखना चाहिए, वरना रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। इसके बाद स्वस्थ लोगों को अलग और संदिग्ध लोगों को अलग-अलग कमरों में शिफ्ट किया गया।
कैसे रुकेगा संक्रमण... एसएएफ के 8 जवानों के सैंपल 5 दिन बाद लिए
साडा क्षेत्र में केयर एंड क्योर सेंटर में एसएएफ के उन 8 जवानों को 23 अप्रैल को क्वारेंटाइन किया है जो मोहना चेक पोस्ट पर संदिग्ध को लिफ्ट देने वाले सिपाही के संपर्क में आए थे, लेकिन इनके सैंपल लिए गए 27 अप्रैल की रात को। जबकि क्वारेंटाइन सेंटर में लाए गए संदिग्धों के सैंपल तो तुरंत ही लिए जाने चाहिए, जिससे संक्रमण पर जल्द काबू पाने बुनियादी कदम उठाए जा सकें। अगर क्वारेंटाइन सेंटरों में संदिग्धों के सैंपल लेने में 5 दिन लगाए जाएंगे तो 14 दिन के पीरियड के प्रोटोकॉल के पालन में दिक्कत होगी।
{स्टाफ कर रहा जवानों की शिकायत...
एसएएफ के जवानों के बालकनी, कॉरीडोर और सेंटर परिसर में घूमने की शिकायत यहां कार्यरत स्टाफ ने इंसीडेंट कमांडर व एसपी से की। एक डीएसपी इन्हें समझाने भी पहुंची थीं। जवानों ने बताया कि बिजली गुल होने पर वे कमरों से बाहर आते हैं।
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