कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए 37 दिन से लागू लॉकडाउन में हर छोटी-बड़ी जरुरत की सर्विस को बंद रखा गया है। इतने समय में सिर्फ किराना, दूध, सब्जी, फल की दुकानों को ही हल्की छूट के साथ खोला जा रहा है। जबकि कई सामान ऐसे हैं जिनकी जरुरत की पूर्ति नहीं हो पा रही और रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं, प्रशासन ने रिपेयरिंग वर्कर को तो घर-घर जाकर काम करने की परमिशन दे दी है लेकिन रिपेयरिंग में लगने वाले सामान की दुकानों को खोले जाने के लिए किसी भी समय की रियायत नहीं दी गई है। इस कारण रिपेयरिंग वर्क भी नहीं हो पा रहा है।
न कूलर-फ्रिज का सामान मिल रहा और न नया ले पा रहे
गर्मी में पंखे, कूलर, एसी व इनसे जुड़े सामान की डिमांड बढ़ गई है। विनय नगर के आशुतोष सिंह का फ्रिज दो दिन पहले खराब हो गया था। उन्होंने रिपेयरिंग के लिए तो मैकेनिक को बुला लिया लेकिन फ्रिज का जो पार्ट खराब हुआ, वह नहीं मिला। इस कारण दूध, फल, सब्जी बेकार हो रही हैं। कूलर-एसी रिपेयरिंग का सामान नहीं मिल रहा। लोगों का कहना है कि रोज 2 से 3 घंटे दुकानें खुलने दी जाए।
काॅपी-किताब न मिलने से बच्चाें की पढ़ाई प्रभावित
स्कूलों में छुट्टी के कारण पैरेंट्स बच्चों को घर में ही पढ़ाने पर जोर दे रहे हैं लेकिन स्टेशनरी नहीं मिल पा रही। कई स्कूलों ने ऑनलाइन एप से पढ़ाई शुरू करा दी है मगर स्टूडेंट्स स्टेशनरी की कमी के कारण नोट करने में दिक्कत आ रही है। किताबें जरुर ऑनलाइन पढ़ने के लिए मिल रही हैं। सीपी कॉलोनी केे अमित शर्मा के अनुसार वे पिछले 20 दिन से रजिस्टर, कलर व दूसरी नोट बुक लेने के लिए परेशान हैंै।
घराें में लाेग कैरम, लूडाे खेल सकते हैं लेकिन दुकानें बंद
लॉकडाउन में कैरम, लूडाे, सांप सीढ़ी और ऐसे ही इनडाेर गेम्स की डिमांड है लेकिन 37 दिन के दौरान एक घंटे के लिए भी स्पोर्ट्स आयटम की दुकानें नहीं खोली गई हैं। अनुपम नगर निवासी सतेंद्र मिश्रा का कहना है कि यदि ये दुकानें अलग-अलग समय पर खोली जाती हैं तो खेल के सामान लेकर लोग घर पर अपना समय व्यतीत आसानी से कर सकते हैं और फिटनेस के लिए भी अच्छा रहेगा।
दादी का चश्मा टूटा ताे 10 दिन से देख ही नहीं पा रहीं
किलागेट पर रहने वाली 72 वर्षीय बसंती देवी का चश्मा टूटे 10 दिन हो चुके हैं। उनके पोते रघुवीर के अनुसार, दादी को पास की चीज भी देखने में दिक्कत हो रही है इसलिए वे बिस्तर पर ही हैं। जब कोई चश्मे की दुकान खुलेगी, तब उसे सही कराएंगे। ये समस्या सभी लोगों के साथ बनी हुई है। टूटे चश्मों की रिपेयरिंग नहीं हो पा रही और गर्मी में लोगों को चश्मे की ज्यादा जरुरत होती है वह भी नहीं मिल रहे।
राेजमर्रा के उपयाेग के लिए कपड़े भी नहीं मिल पा रहे
शहर में लोगों को अंडर गारमेंट्स और गर्मी के सीजन के कपड़े नहीं मिल पा रहे। ऐसे ही आयटम के कारोबारी तरुण भदाैरिया का कहना है कि पिछले 22 मार्च से दुकान में ताला डला हुआ है। यदि प्रशासन हम लोगों को रोजाना 2 से 4 घंटे की छूट दे दे तो हम लॉकडाउन के नियमों का पालन कराते हुए अपना कारोबार कर सकते हैं और लोगों को उपयोग के कपड़े भी मिल जाएंगे।
अलग-अलग समय पर दे सकते हैं छूट
डॉ. प्रवीण अग्रवाल, सचिव, चेंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, रोजमर्रा की जरुरतों में शामिल सामान की उपलब्धता के लिए हमने अधिकारियों से चर्चा की है। विभिन्न सेक्टरों के कारोबार को अलग-अलग समय या दिन के हिसाब से ढील देने का आग्रह भी किया है। यदि दुकानदार की जिम्मेदारी के साथ ये ढील दे दी जाए तो लोगों को सामान मिल सकेगा।
परिस्थितियां ठीक रहीं तो देंगे अनुमति
-किशोर कन्याल, एडीएम के मुताबिक,संक्रमण की स्थिति को देखते हुए बाजारों को ढील देने के निर्णय लिए जा रहे हैं। अब काफी हद तक हालात सामान्य होते दिख रहे हैं। लोगों को जरुरत का सामान आसानी से मिल रहा है। यदि परिस्थितियां ठीक रहीं तो बाकी सेक्टर में भी कारोबारियों को प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति दी जाएगी।
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