दो दिन के संपूर्ण लॉकडाउन का पहला दिन सफल रहा। लॉक डाउन में 3 घंटे की छूट मिलने पर सबसे अधिक भीड़ किराना दुकानों पर रहती थी जो शनिवार को गायब रही। लॉक डाउन के दौरान होम डिलेवरी की सुविधा का लाभ भी एक लाख की आबादी में से करीब एक दर्जन लोगों ने उठाया। देहात थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति अकारण घूमते मिला तो उस पर धारा 188 की कार्रवाई की गई। वहीं लॉक डाउन के दौरान पुलिस और प्रशासन ने लोगों पर सख्ती दिखाने की बजाय जागरूक करने पर अधिक ध्यान दिया।
जिले के लोग जो दूसरे शहरों में रोजगार पर लगे थे उन्होंने लॉक डाउन के बाद जिले की तरफ पलायन किया। इनमें कई लोग ऐसे थे जो उन शहरों से आए थे जहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके बीच भी कोरोना योद्धा अपनी-अपनी जिम्मेदारी मुस्तैदी से निभाते रहे। अब तक जिले में 243251 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। वहीं 42158 घरों का सर्वे पूरे जिले में हो चुका है। इनमें से 4283 जो बाहर से आए हैं उनको होम क्वारेंटाइन किया गया है। वहीं अब तक 29 लोगों की सैंपलिंग की गई है। इसमें से 19 की रिपोर्ट नेगेटिव मिली है। जबकि 10 नमूनों की रिपोर्ट आनी शेष है। जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में लगातार निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद अब मात्र 1 ही व्यक्ति को रखा गया है।
पुलिस, प्रशासन, डॉक्टरों का सम्मान
कोरोना संक्रमण की रोकथाम में लगे चिकित्सकों, चिकित्सा कर्मियों, पुलिस कर्मियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों का सम्मान लोगों के दिलों में बढ़ा है। यही वजह है कि लोग निस्वार्थ भाव से दिन भर ड्यूटी करने वालों को चाय, नाश्ता लेकर पहुंच जाते हैं। साथ ही इस कार्य के लिए उनकी हौसला अफजाई करते हैं। शहर के विभिन्न चौराहों पर ड्यूटी में लगे इन योद्धाओं का उत्साह और मनोबल बढ़ाने के लिए लोग लगातार सेवाएं दे रहे हैं।
प्रशासनिक अधिकारी भी कर रहे लगातार ड्यूटी
शहर में जहां पुलिस और डॉक्टर लगे हैं तो प्रशासनिक अधिकारी भी अपनी ड्यूटी में पीछे नहीं हैं। खुद कलेक्टर डाॅ. मंजू शर्मा हर कभी शहर सहित जिले का भ्रमण कर रही हैं। अशोकनगर में एसडीएम सुरेश जाधव के साथ तहसीलदार इसरार खान, नायब तहसीलदार दीपेश धाकड़, रोहित रघुवंशी, मस्तराम गुर्जर, आशीष जैन के साथ पटवारियों की टीम लगातार सक्रिय रहते हुए देर रात तक शहर में भ्रमण कर रहे हैं।
घर पहुंचते ही बच्चे सीधे चिपक जाते थे इसलिए 22 मार्च से घर ही नहीं गए
सिटी कोतवाली में दो पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो 22 मार्च के बाद घर ही नहीं गए। वजह है दोनों के घरों पर छोटे बच्चे है। दोनों पुलिसकर्मी होटल में रहते हुए अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। कोतवाली में पदस्थ आरक्षक शकील खान और रवि त्यागी ने बताया कि घर किसी को भेजकर गर्म पानी मंगवा लेते हैं। वहीं जरूरत पड़ने पर किसी के हाथ सामान भेज देते हैं। दोनों आरक्षकों ने बताया कि बच्चे और परिजन प्रभावित न हों इसलिए होटल में रह रहे हैं।
खुद को आइसोलेशन में रखा है लॉक डाउन के बाद से
जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड प्रभारी डाॅ. मनीष चौरसिया पिछले कुछ हफ्तों से आइसोलेशन पर रह रहे हैं। घर पहुंचते ही बाहर कपड़े गर्म पानी में डालने के बाद पत्नी और बच्चों से दूर दूसरे कमरे में पहुंच जाते हैं। इसके बाद संवाद भी एक कमरे से दूसरे कमरे में होता है। इस दौरान भोजन दूर से रख दिया जाता है। डाॅ. चौरसिया ने बताया कि डॉक्टर होने के कारण मरीजों का इलाज हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य है, लेकिन परिवार को संक्रमण से बचाना भी जरूरी है। वार्ड प्रभारी होने के कारण 24 घंटे ड्यूटी पर आना जाना पड़ता है, इसलिए आइसोलेशन में रहना शुरू कर दिया।
मुस्तैदी से ड्यूटी निभा रहे पुलिसकर्मी
जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अशोकनगर में पुलिस के जवान लगातार तैनात हैं। जिले की सभी सीमाओं को सील किया गया है। जिले से लगी दूसरे जिले की सीमा जिनमें शिवपुरी और विदिशा जिला है जहां पॉजीटिव केस पाए जाने पर यहां पुलिस के जवान और भी मुस्तैदी से अपना ड्यूटी निभा रहे हैं। जबकि उत्तरप्रदेश और मप्र की सीमा को जोड़ने वाले राजघाट चौकी पर पूरी तरह से वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है। अब तक लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पुलिस की सख्ती भी देखी गई है। लगातार दिन और रात पुलिस की गश्त और चैकिंग की वजह से बेवजह घूमने वालों को भी मजबूरी में घरों में दुबके रहना पड़ रहा है।
अलर्ट मोड पर जिले का स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य विभाग भी कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सतर्क है। दो दिनों में स्क्रीनिंग की संख्या कम हुई है इससे पहले एक-एक दिन में बाहर से आए 400 लोगों तक की स्क्रीनिंग की है। इस वजह से अस्पतालों में डॉक्टरों को अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि कई डॉक्टरों ने खुद को भी क्वारेंटाइन कर रखा है।
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