पहली घटनाअरबिंदो हॉस्पिटल की हैं। यहां उपचाररत 70 वर्षीय एक वृद्धा डाॅक्टर्स व स्टाफ के लोगों को चकमा देकर हॉस्पिटल से भाग निकली। पकड़ने गए पुलिस के जवानों को महिला ने करीब एक घंटे छकाया। बाणगंगा पुलिस के अनुसार घटना शुक्रवार सुबह की है। वृद्धा का नाम रेशमबाई है। कुछ दिन पूर्व इसे छत्रीबाग इलाके के क्वारेंटाइन सेंटर्स से परिवार सहित लाया गया था। शुक्रवार सुबह काफी देर तक वार्ड में नहीं दिखी तो हड़कंप मच गया। बाद में बाणगंगा पुलिस को सूचना दी तो पुलिस की कई टीमें वृद्धा को खोजने में जुट गईं। पुलिस जवानों को अपनी ओर आता देख वृद्धा ने दौड़ लगा दी और झाड़ियों में छिप गई। इधर पीपीई किट न होने के कारण जवान भी वृद्धा को समझाते रहे लेकिन वह बैठने को तैयार नहीं थी। बाद में एंबुलेंस बुलाकर पीपीई किट पहने मेडिकल स्टाफ के कर्मचारियों ने उसे पकड़ा और फिर सख्ती से एंबुलेंस में अस्पताल ले गए।
फीवर क्लिनिक के विरोध में डॉक्टर-स्टाफ को बंद कर दिया
प्रशासन ने शहर के 19 जोन में फीवर क्लिनिक शुरू किए हैं, लेकिन सुयश विहार कॉलोनी के रहवासियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। शुक्रवार को क्लिनिक के आसपास के रहवासियों ने डॉक्टर सहित स्टाफ को भी क्लिनिक में बंद कर दिया। बाहर से दरवाजा लगा दिया। वे बोले कि हमारी कॉलोनी में एक भी केस नहीं आया है। ग्रीन जोन में है, इसलिए यहां एक भी मरीज को घुसने नहीं देंगे। यहां से क्लिनिक बंद करो। कुछ भी हो जाए, हम यहां क्लिनिक नहीं चलने देंगे। शुक्रवार को हंगामे की सूचना पर यहां पुलिस पहुंची। नगर निगम के अधिकारियों को भी आना पड़ा। डॉक्टरों ने भी समझाया कि किसी मरीज के आने से कोरोना नहीं फैलता है लेकिन रहवासी समझने को तैयार नहीं हुए। एक युवक बोला कि यदि मरीजों में से किसी को कोरोना हुआ और वह हमारी दीवार, गाड़ी को छूते हुए निकला तो हम भी संक्रमित हाे सकते हैं।निगम अफसरों ने समझाया कि मास्क नहीं लगाने और सोशल डिस्टेंस नहीं होने से कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है।
कोई कोरोना मरीज दूर से ही निकल जाए तो संक्रमण नहीं होता है। रहवासियों में से एक आदमी इस बात पर अड़ गया कि यहां मरीज आते हैं और कुछ भी सामान फेंक देते हैं। उसने डॉ. प्रदीप गोयल की पूर्व पार्षद सुधा चौधरी से बात करवाई। डॉक्टर ने उन्हें भी समझाने का प्रयास किया कि यहां कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं आ रहा है। हम सामान्य मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इस मामले में पूर्व पार्षद सुधा चौधरी कहना है रहवासी इस बात को लेकर आपत्ति ले रहे थे कि तीन मंजिला बीमा अस्पताल कोविड संदिग्ध मरीजों के लिए दे दिया गया है तो फिर यहां क्लिनिक क्यों शुरू किया जा रहा है। देर शाम तक विरोध कर रहे रहवासी नहीं माने थे।
कोरोना योद्धा शिक्षिका अप्रैल से लगातार सर्वेक्षण कार्य के कारण कोरोना की चपेट में
कोरोना के सर्वे कार्य में लगे शिक्षक लगातार ड्यूटी के कारण डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं। शिक्षक संगठन ने प्रशासन से मांग की है कि शिक्षकों की ड्यूटी रोस्टर के अनुसार लगाई जाए। मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन के संरक्षक हरीश बोयत ने बताया जेनिफर सुशील प्राथमिक विद्यालय खातीपुरा क्र. 110 में पदस्थ हैं। वे अप्रैल से सर्वे कार्य कर रही थीं। उनके साथ उनके पति भी कोरोना संक्रमित हो गए। इस पर उन्हें अरबिंदो अस्पताल में भर्ती किया है।
भास्कर अपील
कोरोना के मामले में आज अगर इंदौर देश के सबसे बड़े हॉटस्पॉट में से एक है तो उसका एक कारण शुरू में हुई हमारी गलतियां भी हैं। अब दो माह बाद जब हमारे यहां 3431 मरीज सामने आ चुके हैं 129 नागरिकों ने जान गंवा दी है तो ऐसी और गलतियां हमंे कहीं का नहीं छोड़ेंगी। यह बीमारी भागने, बचने या बीमार की उपेक्षा करने से नहीं जाने वाली। अपील है कि लक्षण हों तो सामने आएं। बीमार हैं तो इलाज करवाएं। पड़ोस में किसी को कोरोना है तो उससे दूरी रखते हुए सहारा दें। क्लिनिक, अस्पताल को अपना काम करने दें। डॉक्टरों, पुलिस को उनकी जिम्मेदारी निभाने दें।
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