ब्लाक मुख्यालय पर करीब साढ़े चार एकड़ शासकीय जमीन बाल श्मशान के नाम से दर्ज है। पहले यहां बच्चों का अंतिम संस्कार किया जाता था। श्मशान तक पहुंचने के लिए बैलगाड़ी जाने का रास्ता भी था। आसपास के किसानों ने धीरे-धीरे रास्ता और सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। अब वहां खेती की जा रही है। प्रशासन ने भी कभी इस जमीन को मुक्त कराने के प्रयास नहीं किए। पटवारी का कहना है रिकार्ड में सरकारी जमीन तो है, लेकिन रास्ता नहीं है।
पुनासा गांव के राजस्व नक्शे में साढ़े चार एकड़ जमीन का प्लाट नंबर 241 पर है, लेकिन रास्ता नहीं दर्शाया गया है, जबकि इस प्लाट पर बाल श्मशान तक पहुंचने का पारंपरिक रास्ता है। करीब 10 साल पहले तक लोग इसी रास्ते से यहां पहुंचते थे। पुनासा के रामलाल यादव, मंशाराम यादव, छीतू प्रजापत ने कहा हमारे बुजुर्गों ने भी इसके बारे में बताया और हम भी पिछले पांच दशकों से इस रास्ते से होते हुए संबधित स्थान पर बच्चों का अंतिम संस्कार करते हुए देख रहे हैं। कुछ लोगों ने पहले रास्ते पर अतिक्रमण कर पगडंडी बना दी। अब इसे भी बंद कर दिया है। रास्ता बंद हुआ तो आसपास के किसानों द्वारा सरकारी भूमि पर भी अतिक्रमण कर खेती की जा रही है। गांव के लोगों को बच्चों के शव के अंतिम संस्कार के लिए जंगल तक जाना पड़ रहा है।
इस संबंध में तहसीलदार सीमा मौर्य का कहना है कई बार ऐसा होता है कि जमीन तो है लेकिन उस तक पहुंच मार्ग नहीं होता, लेकिन पारंपरिक रास्ते होते हैं। मैं पटवारी, आरआई को मौका स्थल मुआयना के लिए भेजूंगी।
अतिक्रमण हटाने की करेंगे कार्रवाई
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर शासकीय भूमि का सीमांकन करवाकर उस भूमि को विकसित करवाएंगे।- ममता खेड़े, एसडीएम, मांधाता
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