निगम ने संपत्ति कर, जल कर और कचरा शुल्क का पूरा भुगतान सितंबर तक करने पर विदेश घूमने की इनामी योजना शुरू की है। निगमायुक्त ने बताया कि इनाम की अलग-अलग श्रेणी बनाई है।
संपत्ति कर: प्रथम पुरस्कार 2 लाख रुपए तक का वाउचर या स्पेन में 2 व्यक्तियों के लिए 7 दिन या अंडमान निकोबार में 4 व्यक्तियों के लिए 10 दिन का टूर पैकेज। द्वितीय पुरस्कार के रूप में 25 हजार का वाउचर या 32 इंच एलईडी टीवी या अहमदाबाद गिर फॉरेस्ट, सोमनाथ में 2 व्यक्तियों के लिए 4 दिन। तृतीय पुरस्कार के रूप में 5 हजार का वाउचर या मोबाइल या घड़ियां। चतुर्थ पुरस्कार के रूप में 1 हजार का वाउचर।
जल कर : प्रथम पुरस्कार के रूप में लाख रुपए का वाउचर या सिंगापुर की यात्रा 2 व्यक्तियों के लिए 7 दिन या थाईलैंड 2 व्यक्तियों के लिए 7 दिन या अंडमान निकोबार में 2 व्यक्तियों के लिए 10 दिन। द्वितीय पुरस्कार के रूप में 10 हजार का वाउचर या पंचमढ़ी, अमरकंटक 2 व्यक्तियों के लिए 3 दिन। तृतीय पुरस्कार 2500 का वाउचर। चतुर्थ पुरस्कार के रूप में टी-शर्ट, कैप, रिस्ट बैंड्स, की-चेन। इसी तरह कचरा प्रबंधन शुल्क में भी कई ऑफर दिए हैं।
अव्यवस्था के बीच एक दिन में प्रॉपर्टी टैक्स से निगम के खाते में जमा हुए 16.25 करोड़
शहर के लोगों ने संपत्ति कर पर 6.25 प्रतिशत की छूट का लाभ 31 जुलाई को भारी अव्यवस्था के बीच भी उठाया। खातों के दूसरे जोन में ट्रांसफर होने, डिमांड सही नहीं आने सहित सभी तरह की अव्यवस्थाओं के बीच लोगों ने 16.25 करोड़ रुपए जमा किए। सबसे ज्यादा समस्या स्कीम 59 और 78 के रहवासियों को आई। यह कॉलोनियां दो वार्ड में बांट दी गईं। लोग जब अपने पुराने जोन में पहुंचे तो पता चला कि दूसरे जोन में जाना है। इसके अलावा कई लोगों की डिमांड भी गलत दर्शाई गई। वहीं टैक्स असेसमेंट भी ठीक नहीं था। अमितेष नगर वार्ड 78 में आता है, जबकि वार्ड 73 में भी कई लोगों के खाते ट्रांसफर कर दिए गए।
पिछले साल 179 करोड़ रुपए की आय हुई थी
अपर आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य का कहना है कि 31 जुलाई को 40 प्रतिशत राशि ऑनलाइन जमा हुई। पिछले साल 31 जुलाई तक निगम को वॉटर टैक्स, कचरा प्रबंधन शुल्क और प्रॉपर्टी टैक्स से 179 करोड़ की आय हुई थी। इस साल इन्हीं चार महीनों में निगम को 98 करोड़ की आय हुई। हम करीब 81 करोड़ पीछे जरूर हैं, लेकिन लोगों ने ऑनलाइन टैक्स भी खूब जमा किए। चार महीनों में जितनी भी राशि जमा हुई उसमें ऑनलाइन 40 प्रतिशत रही। इतनी राशि 8 माह में भी नहीं मिलती थी।
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