कोरोना के कहर के दौर में डॉक्टर्स देवदूत बने हैं। जिस तरह बॉर्डर पर सैनिक देश की रक्षा के लिए तैनात है। ठीक वैसे ही नीली वर्दी में डॉक्टर्स कोरोना महामारी के बीच फ्रंट लाइन पर सेवा दे रहे हैं। नगर के कई युवा डॉक्टर कॅरियर के शुरुआती दौर में ही घर-परिवार से दूर कोरोना मरीजों की सेवा में तैनात हैं। कई राज्यों में नीली वर्दी पहने ये योद्धा न रतलाम जिले का गौरव भी बढ़ा रहे हैं।
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मुंबई लीलावती हॉस्पिटल में तैनात है डॉ. सौरभ दसेड़ा
डॉ. सौरभ दसेड़ा मुंबई लीलावती हॉस्पिटल में बने कोविड आईसीयू एवं कोविड वार्ड में बतौर इंटेनसिविस्ट एवं एमडी मेडिसिन क्रिटिकल पेशेंट की सेवा कर रहे हैं। जावरा के डॉ. सौरभ लीलावती में हैं। अभी वार्ड में 17 और आईसीयू में 3 पॉजिटिव मरीज हैं। डॉ. सौरभ जैसे डॉक्टरों की मेहनत से अस्पताल से 100 से ज्यादा लोग रिकवर होकर जा चुके हैं। पत्नी डॉ. निशा शाह भरूच में हैं।
दिल्ली के आकाश हॉस्पिटल में है डॉ. दिव्या जैन
डॉ. दिव्या जैन दिल्ली के आकाश हॉस्पिटल में आरएमओ हैं। जावरा की इस बेटी ने महाराष्ट्र कोल्हापुर के दिवा पाटिल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और नवंबर 2018 से दिल्ली में ही हैं। 22 मार्च को आने का टिकट कन्फर्म था लेकिन कोविड संकट शुरू होने के बाद घर आने का विचार त्याग दिया। यहां रोज 5-6 संदिग्ध मरीज आते हैं जिन्हें रेफर करते हैं।
डॉ. आकृति ने जबलपुर में संभाल रखी जिम्मेदारी
डॉ. आकृति कोठारी ने उज्जैन सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। अभी वे जबलपुर सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमडी पीजी कर रही हैं। वहां बतौर पैथालॉजी इंचार्ज कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग की जिम्मेदारी जावरा की डॉ. आकृति पर ही है। वह अस्पताल में रहकर ही सेवा दे रही हैं।
जयप्रकाश हॉस्पिटल के कोविड-सेंटर में तैनात डॉ. सोनी
डॉ. अमित सोनी ने 2014 में रशिया से फिजिशियन एमडी की डिग्री ली। अभी वे दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में बने कोविड सेंटर में बतौर जूनियर रेसीडेंट सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में चाइल्ड सर्जरी विभाग में चयन हुआ। महीनेभर से वे वहीं कोविड सेंटर में रोज 10 घंटे कोरोना पॉजिटिव पेशेंट की सेवा में जुटे हैं। इनके पिता हेमंत सोनी जावरा में पटवारी हैं।
एम्स दिल्ली का अनुभव लेकर गृहनगर आए ताकि कर सकें सेवा
डॉ. मयंकसिंह सिसौदिया ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी के साथ ही क्वारंटाइन सेंटर संभाल रहे हैं। जावरा सोमवारिया निवासी डॉ. मयंक ने औरंगाबाद से एमबीबीएस किया। फिर दिल्ली एम्स में सेवाएं दीं। वैसे एम्स जैसे बड़े अस्पतालों में जाने के लिए डॉक्टर एक पैर पर खड़े हैं लेकिन मयंक ने अपने गृहनगर क्षेत्र को प्राथमिकता दी। वे रिंगनोद प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में पदस्थ हैं।
जानें कैसे ठीक हो रहे मरीजः पॉजिटिव मरीज मलेरिया, एचआईवी एवं स्वाइन फ्लू की दवा से हो रहे निगेटिव
कोविड-19 के लिए अलग से कोई दवाई अब तक नहीं बनी है। इनको अस्पतालों में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (मलेरिया की दवा), एंटी फ्लू ओसेल्टामीवीर (स्वाइन फ्लू की दवा) और वेंटीलेटर पर गए मरीजों को एंटी रेट्रो वायरल दवाएं लोपिनावीर एवं रिटोनावीर (एचआईवी की दवा) का ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। इन तीनों का डॉक्टरों ने पेशेंट की कंडीशन के आधार पर डोज तय कर रखा है। इससे मरीज रिकवर हो रहे हैं। तीसरा विकल्प ठीक हुए मरीजों का प्लाज्मा ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। इसके भी कई जगह अच्छे रिजल्ट मिले हैं।
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