भोपाल की हरियाली भी हेरिटेज है। सदर मंजिल के पास जिस मैदान को हम इकबाल मैदान के नाम से जानते हैं, वह खिरनी वाला मैदान था। यहां खिरनी के पेड़ थे। 1819-1837 तक भोपाल में शासन करने वाली पहली महिला शासक कुदसिया बेगम यहां जनता दरबार लगाती थीं। मैदान में कुछ पेड़ अभी भी शेष हैं जो इस इतिहास के गवाह हैं।
ऐसे तमाम ऐतिहासिक पेड़ों को बचाने की पहल शुरू हो रही है। पिछले महीने कमला पार्क में बरगद के पुराने पेड़ के धराशाई होने पर उसे बचाने के लिए उद्यानिकी विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव की पहल पर प्रयास शुरू हुए। इसके साथ ही उन्होंने शहर के हेरिटेज ट्री के संरक्षण के लिए योजना तैयार करने को कहा। निगम और उद्यानिकी विभाग मिलकर यह काम कर रहे हैं। निगम के अपर आयुक्त पवन सिंह ने कहा कि पार्कों में हैरिटेज ट्री की पहचान करने का काम शुरू करेंगे।
सालों पुराने हैं भोपाल के पेड़, कई बगीचे भी तब ही विकसित हुए
1723 में फतेहगढ़ किला का निर्माण शुरू करने से पहले नवाब दोस्त मोहम्मद खां ने यहां बड़ी संख्या में पौधरोपण किया। इसके साथ ही यहां खिरनी वाला मैदान जैसे स्थान विकसित हुए। उनके बाद नवाब शाहजहां बेगम ने शहर में अनेक बगीचे विकसित किए। अब ज्यादातर जगह पर बसाहट हो गई है। लेकिन फिर भी शाहजहांनाबाद, परी पार्क और कई अन्य इलाकों में मिलने वाले मोटे तने के पेड़ों को देख कोई भी कह सकता है कि यह पेड़ सैकड़ों साल पुराने हैं। कमला पार्क में जहां बरगद का पेड़ गिरा था वह अर्दन डैम पर स्थित है।
नए शहर में भी हैं हेरिटेज ट्री
भोपाल के राजधानी बनने के बाद अरेरा हिल्स, टीटी नगर और तुलसी नगर के विकसित होने पर भी यहां पुराने पेड़ों को बचाने का प्रयास किया गया था। क्षेत्र में बरगद, पीपल, नीम और इमली के ऐसे कई पेड़ हैं।
अब यहां पेड़ों पर संकट
शाहजहांनाबाद क्षेत्र में 10.02 हेक्टेयर जमीन पर प्रस्तावित बीडीए के रिडेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट में करीब 272 पेड़ों को काटा जाना है। इनमें से कई नवाबकालीन हैं। बीडीए का दावा है कि हम 400 पेड़ बचा रहे हैं। वहीं टीटी नगर में स्मार्ट सिटी के लिए 5000 पेड़ काटने का सिलसिला जारी है।
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