पर्यावरण संरक्षण में सहभागी बनते हुए इस गणेशाेत्सव में मूर्तिकाराें ने पीओपी की प्रतिमाएं नहीं बनाने का फैसला लिया है। मंंगलवार काे मूर्तिकाराें ने सिटी मजिस्ट्रेट वीरेंद्र कटारे काे ज्ञापन साैंपकर इस बारे में अवगत भी करा दिया है। मूर्तिकाराें ने कहा- इस साल शहर का काेई भी मूर्तिकार पीओपी की प्रतिमा नहीं बनाएगा। ऐसे में प्रशासन बाहर से मूर्तियां लाकर बेचने वालाें पर नजर रख पीओपी की प्रतिमाओ की बिक्री पर राेक लगाएं।
मूर्तिकाराें ने कहा- हर साल गणेशाेत्सव के दाैरान बाहरी व्यापारी पीओपी की प्रतिमा लाकर बेचते हैं और आरोप स्थानीय मूर्तिकाराें पर लगता है। इसीलिए व्यापारियाें ने 22 अगस्त से गणेशाेत्सव शुरू हाेने से 25 दिन पहले ही प्रशासन काे इस बारे में बता दिया है।
70 प्रतिशत पीओपी, 30 प्रतिशत मूर्तियां मिट्टी की बिकती है
कलेक्टाेरेट परिसर में पहुंचे मूर्तिकार दिनेश चाैहान, हितैष प्रजापत, सत्यनारायण प्रजापत, नवीन पेंटर आदि ने बताया हर साल शहर में लगभग 100 से अधिक छाेटी-बड़ी दुकानें गणेश प्रतिमाओं की लगती हैं। अनुमान के मुताबिक इनमें 70 प्रतिशत प्रतिमाएं पीओपी की बिकती हैं। क्याेंकि ये सस्ती हाेती हैं। मिट्टी की 6 इंच की प्रतिमा की कीमत 100-150 रु. है ताे पीओपी की प्रतिमा 50 रु. रहती है। मूर्तिकारों ने बताया हर साल वे मिट्टी की 800 से 1000 प्रतिमाएं बनाते हैं। 30 प्रतिशत प्रतिमाएं ही बिक पाती हैं। इससे प्रतिमा निर्माण का उचित प्रतिफल नहीं मिल पाता।
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