कृषि विज्ञान केंद्र में ‘कड़कनाथ फॉर्मिंग वर्तमान में स्थिति व भविष्य में इसकी संभावनाएं’ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से 900 वैज्ञानिक एवं कड़कनाथ पालक ऑनलाइन जुड़े। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यू-ट्युब के माध्यम से भी किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए केंद्र के प्रमुख डॉ. आईएस तोमर ने कड़कनाथ प्रजाति के संरक्षण एवं संवर्धन में कृषि विज्ञान केंद्र झाबुआ की भूमिका और इसके प्रचार-प्रसार के बारे में बताया। साथ ही झाबुआ जिले के आदिवासियों के रोजगार एवं आजीविका का प्रमुख साधन बनाने में एवं कृषकों के आजीविका के लिए पलायन रोकने में कड़कनाथ मुर्गीपालन के योगदान के बारे में जानकारी दी।
प्रमुख वक्ता अधिष्ठाता वेटनरी कॉलेज रांची प्रो. सुशील प्रसाद ने कड़कनाथ प्रबंधन के बारे में बताया। आणविक अनुवांशिकी पंजाब विवि लुधियाना डॉ. पीपी दुबे ने कड़कनाथ पालन में भविष्य एवं रोजगार की संभावनाओं पर अपनी बात रखी। सह प्राध्यापक पंजाब विवि लुधियाना के डॉ. एसके दास ने ब्रीडिंग स्ट्रेटजी ऑफ कड़कनाथ, वेटनरी चिकित्सक नंदूरबार (महाराष्ट्र) डॉ. महेश गणापूरे ने प्रमुख रोगों की जानकारी एवं निदान के बारे में बताया।
हैदराबाद के शास्वत बिसबेन ने विश्व बाजार में कड़कनाथ की मांग एवं निर्यात की रूपरेखा बताई। वेबिनार में वैज्ञानिक केवीके धार डॉ. जेएस राजपूत, वैज्ञानिक केवीके झाबुआ डॉ. चंदन कुमार, परवेंदर सिंह चौहान जयपुर ने व विनोद मेड़ा ने भी अपनी बात रखी। संचालन निज सचिव विनोद पटेल ने किया। आभार डॉ. एसएन उपाध्याय ने माना। इस आयोजन में कृषि विज्ञान केंद्र झाबुआ के तकनीकी अधिकारी दयाराम चौहान, वैज्ञानिक डॉ. आरके त्रिपाठी, डॉ. वीके सिंह, जगदीश मौर्य, चंद्रशेखर लोखंडे, टीएस डुडवे, दिलीप घोटकर, राघवेंद्र भदौरिया आदि का योगदान रहा।
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