कोरोना संक्रमित क्षेत्रों की सूची में चार नए क्षेत्र बढ़ गए हैं। देर रात जारी सूची में बिचौली हप्सी, शिवकांत नगर और महू की इंदिरा कॉलोनी और खान कॉलोनी में नए मरीज मिले हैं। यहां स्क्रीनिंग के लिए टीम को भेजा गया है। जिले में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 4 हजार 800 से ज्यादा हो चुका है, वहीं अब तक 733 कॉलोनियां कोरोना से प्रभावित हो चुकी हैं। रोजाना नए-नए क्षेत्रों में मरीज सामने आ रहे हैं। ये वे इलाके हैं जो लॉकडाउन में संक्रमण की जद से बचे हुए थे। जहां-जहां मरीज मिल रहे हैं, वहां आसपास के घर तक सील किए जा रहे हैं। वहीं तिलक नगर में भी एक मरीज मिला है।
969 सर्दी-जुकाम और खांसी के मरीजों की पहचान, 16 लोगों के सैंपल लिए जाएंगे
किल कोरोना अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों से जानकारियां जुटाई जा रही हैं। छह दिन में अब तक एक लाख 54 हजार 975 हजार घरों का सर्वे किया जा चुका है। इनमें 8 लाख 57 हजार से ज्यादा लोगों से जानकारी जुटाई गई। इनमें से 969 सर्दी-जुकाम और खांसी के मरीजों की पहचान हुई। 669 ऐसे लोग थे, जिन्होंने सांस लेने में परेशानी की शिकायत की। इन लोगों की डॉक्टरों ने स्क्रीनिंग की, जिसमें 300 मरीज ऐसे मिले, जिन्हें यह शिकायत पाई गई। कोरोना जांच के लिए इनमें से 16 लोगों के सैंपल लिए जाएंगे। गौरतलब है कि यह अभियान 15 जुलाई तक चलेगा, जिसके तहत ना सिर्फ कोरोना, बल्कि मलेरिया, डेंगू की जांच भी कराई जाएगी।
दो अस्पतालों से 7 बुजुर्ग महिलाओं सहित 36 मरीज डिस्चार्ज
सोमवार को दो अस्पतालों से 36 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे। स्टाफ ने तालियां बजाकर हौसला बढ़ाते हुए विदाई दी। अरबिंदो अस्पताल से 32 और इंडेक्स अस्पताल से 4 मरीजों को डिस्चार्ज किया। इनमें 60 साल से लेकर 90 वर्षीय महिलाएं भी शामिल हैं।
परिवार होम क्वारेंटाइन होकर स्वस्थ हो गया, पर पिता आखिर में चल बसे
राजकुमार ब्रिज के पास रहने वाले एक परिवार के 71 साल के मुखिया की कोरोना से 42 दिन तक जंग चली। जब पिता संक्रमित हुए तो पूरे घर को होम क्वारेंटाइन कर दिया गया। परिवार के लोग क्वारेंटाइन अवधि में ठीक भी हो गए, लेकिन पिता सांसों की लड़ाई हार गए। घर में ही असहज होने पर 40 दिन पहले उनकी जांच कराई गई थी तो संक्रमण का पता चला। उसी समय परिवार ने भर्ती करा दिया। दो दिन आइसोलेशन, इतने ही दिन ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया। आईसीयू में भी 39 दिन रहे। इस बीच बेटे, पोते अपने मुखिया की हिम्मत बनाए रखने के लिए मोबाइल से बात करते। वीडियो कॉल के जरिए जल्दी ठीक होकर घर लौटने की बात भी कहते। पुरानी बीमारी में उन्हें डायबिटीज ही थी। शुरू में ऐसा लग रहा था कि उनकी तबीयत ठीक ही रही है। वे आसानी से बातचीत भी करते थे। परिजन अस्पताल तक तो पहुंच जाते, लेकिन मरीज से मिलने की मनाही के चलते मन मसोस कर रह जाते। ऐसे में स्टाफ ही वीडियो कॉल के जरिए उनसे बात करा देता। बेटों का कहना है कि हमने अपने वट वृक्ष को बचाने की कोई कसर नहीं छोड़ी।
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